Friday, July 17, 2020

How Shiva can live without annapoorna? - Sanskrit sloka

|| *ॐ* ||
     " *सुभाषितरसास्वादः* "
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     " *चित्र--विचित्र* " ( २१७ )
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   *श्लोक*----
     " स्वयं  पञ्चमुखः पुत्रौ  गजाननषडाननौ ।
        दिगम्बरः  कथं  जीवेदन्नपूर्णा  न  चेद् गृहे ? ।। "
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    *अर्थ*----
    स्वयं शंकर  पांच  मुखवाला ।  पुत्र  दो,  एक  का  मुख  हाथी  का ,  और  दुसरे  को  छह  मुख ।  घरधनी  ( घरवाला )  दिगम्बर! ऐसे  स्थिति  में  घर  में  अगर  अन्नपूर्णा  नही  होती  तो  शंकर  कैसे  जिंदा  रहता ?
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*गूढ़ार्थ*-----
  सुभाषितकार  ने  कितनी  खुबसूरती से  शंकर -- पार्वती  के संसार  का  वर्णन  किया  है । शंकर= पंचानन= पांच मुखवाला । गजानन  = हाथी  के  मुखवाला।
  षडानन= छह  मुखवाला ।
   अन्नपूर्णा = अन्न  को  पूरा  करनेवाली ।
अगर  शंकर  की  अर्धांगनी  अन्नपूर्णा  ना  होती  तो  दिगम्बर  शंकर  का  संसार  कैसे  चलता ?
   इस  जगत्  का  संसार  भी  तो  शिव-- पार्वती  ही चलाते  है ।
   शिव कुछ  भी  वस्तु  ना  जमा  करने  का  संदेश  जगत  को  देते  है ।
    निःसंग  शिव  त्याग  और  निस्वार्थ  की  मूर्ति  है ।
तो  पत्नी  पार्वती  अन्नपूर्णा  जो  जगत  का  पालन-पोषण  करके  मां  की ममता  तथा  वात्सल्य  का  प्रतीक  है ।
और  भोजन  के  मामले  में  हम  लोग ( जगत ) गजानन और  षडानन  है ।
जगत्पिता  और  जगन्माता  के  भरोसे  ही  तो  यह  जगत  चल  रहा है ।
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ . वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /   महाराष्ट्र 
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