Tuesday, October 15, 2024

Going to barber house for shaving ...? - Chanakya neeti

*नापितस्य गृहे क्षौरं पाषाणे गन्धलेपनम्।*
*आत्मरूपं जले पश्यन् शक्रस्यापि श्रियं हरेत्। ॥*
चाणक्य नीति अध्याय-१७(१२)
  *अर्थात्*-नाई के घर पर जाकर बाल बनाना, पत्थर पर चन्दन आदि सुगन्धित द्रव्य लगाना और अपने रूप, प्रतिबिम्ब को जल में देखना ये कार्य इन्द्र की शोभा को भी नष्ट कर देते हैं।

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