Tuesday, September 24, 2024

Virtues shine with these qualities - Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
               " *सुभाषितरसास्वादः* " 
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       " *तत्त्वज्ञाननीति* " ( ७७ )
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      *श्लोक*----
  " दरिद्रता  धीरतया  विराजते  कुवस्त्रता  शुभ्रतया  विराजते ।
    कदन्नता  चोष्णतया  विराजते ,  कुरूपता  शीलतया  विराजते " ।।
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*अर्थ*----
धैर्य से  दारिद्र्य  को  शोभा  आती  है ।  हलका  कपडा  शुभ्रता  के  कारण  अच्छा  दिखता  है । कदन्न  गर्म  होगा  तो  चल  जाता  है । और  कुरूपता  अच्छे  स्वभाव  से  ढंक  जाती  है ।  
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*गूढार्थ*-----
परिस्थिति  के  अनुसार  कुछ  कम  और  हल्की  चीजें  मनुष्य  को  मिलती  है । उसपर  मात  करने  के  लिए   क्या  किया  जा  सकता  है  ताकि  यह  चीजें  ढंक  जायेगी  यही  हमे  सुभाषितकार  बता  रहे  है ।
१- गरीबी  कुछ  दोष  नही  लेकीन   इस  व्यावाहरिक  जग  में  वह  ऑखे  नीचे  झुकाती  है  इसलिए  अगर  धैर्य  से  इसका  मुकाबला  करना  चाहिए।  प्रगल्भता  से  अगर  हमारा  बर्ताव  रखेंगे  तो  इसकी  तीव्रता  कम  हो  जायेगी ।  
२- हल्के  प्रति  के  कपडे  को  अगर  स्वच्छ  रखेंगे  तो  और  वह शुभ्र  होगा  तो  उसके  हल्केपन  की  तरफ  ध्यान  नही  जाता ।
३-कदन्न  अगर  गर्म  करके खाया  जाय  तो  वह  भी  चविष्ट हो  जाता  है ।जैसे--बचे  हुए  चावल  को  या रोटी  को  दुसरे  दिन  फोडणी  डालके और  गरम  करके  खाया  जाय  तो  उसकी रुचि  ही  बदल  जाती  है ।
४-- रूप  किसी के  हाथ  में  नही  रहता  किन्तु  कुरूप  व्यक्ति  या  व्यंग  वाली  व्यक्ति  अगर  सुस्वभावी  होगी उसका  आचरण  अच्छा  होगा और  वह  मधुर  भाषी  होगी  तो  सामनेवाला  निश्चित  ही  उसकी  कुरूपता  और व्यंग  भूल  जायेगा ।
इन  चारों  उदाहरण  के  द्वारा  न्यूनता  ढंकने  के  उपाय  हमे  सुभाषितकार  ने  बताये  है ।
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /   महाराष्ट्र 
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