Monday, August 24, 2020

Dont tell everything to these people- Sanskrit

|| *ॐ* ||
      " *सुभाषितरसास्वादः* "
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   " *तत्वज्ञाननीति* " ( ११० )
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    *श्लोक*-----
     " दारेषु  किंचित्  स्वजनेषु  किंचित्  गोप्यं  वयस्येषु  सुतेषु  किंचित् ।
        युक्तं  वा  न  युक्तमिदं  विचिंत्य  वदेत्  विपश्चिन्महतोऽनुरोधात्  " ।।
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   *अर्थ*----
  पत्नी , रिश्तेदार ,  पुत्र ,  वयस्कर  लोग  इनको  सब  बाते  खुलकर  नही  बतानी  चाहिए ।  यह  बताना  जरूरी  है  क्या ?  और  वह  कैसे  बताया  जाय ?  यह  सब  सोचकर  ही  कहना  चाहिए ।
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*गूढ़ार्थ*-----
  घटी  हुई  सब  घटनाएं  या  सुनी  हुई  सब  बाते  मुक्त  मन  से  किसीको  बताना  योग्य  नही  रहता ।  परिस्थिति  और  व्यक्ति  देखकर  कुछ  भाग  गोपनीय  रखना  जरूरी  होता  है ।  क्यों  कि  अनावश्यक  विपरीत  परिणाम  होने  की  संभावना  रहती  है ।  पत्नी ,पुत्र , आप्त  कितने  ही  नजदीकी  क्यों  न  हो  उन्हे खुले  मन  से  सबकुछ  बताना  घातक  सिद्ध  होता  है ।  कुछ  बाते  प्रकट  करने  से  झगड़ा  होने  की  संभावना  रहती  है ।  जैसे-- किसी  के  गंभीर  बिमारी  खबर  वृद्धों  को  नही  बतानी चाहिए।  उससे  उनके  मन पर  विपरीत  परिणाम  हो  सकता  है ।  बच्चों  के  सामने  कुछ  विषय  हमेशा  ही  टालने  चाहिए ।  अनावश्यक  माहिती देने  के  कारण  विवाह  टूट  सकते  है । इधर  उधर  की  बातों  के  कारण  पति-पत्नी  में  झगड़ा  हो  सकता  है । 
इसलिए  योग्य और  अयोग्य  जानकर  ही  कुछ  बाते  बतानी चाहिए  और  कुछ  बाते  गुप्त  रखनी  चाहिए  ।
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /  महाराष्ट्र 
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