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"नीतिकथाओं पर आधारित न्यायवचन"(४६)
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"शृगालेन शरावे भोजितो बकः तं तुंगपात्रे भोजयति"।
"सियार ने बगुले को थाली मे भोजन दिया और बगुले ने उसे पात्र में "।
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(१)
सियार ने एक दिन बगुले को खीर खाने अपने घर बुलाया। खीर विस्तृत थाली में दी थी अतः अपनी लंबी नोंकदार चोंच से बगुला उसका आस्वाद नही ले पाया । वह भूखा ही वापस घर आया । दूसरे दिन उसने सियार को आमरस खाने निमंत्रित किया। वह रस ऊंची सुराई में भरकर दिया गया जिसे सियार अपनी जीभ से ठीक चाट नही पाया । उसे भी भूखा वापस लौटना पड़ा ।
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(२)
सीख---
"जैसे को तैसा"।
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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