|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *प्रहेलिका* " ( १८१ )
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*श्लोक*------
" कं संजघान कृष्णः का शीतलवाहिनी गङ्गा ।
के दारपोषणरताः कम्बलवन्तं न बाधते शीतम् " ।।
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*अर्थ*-----
कृष्ण ने किसे मारा ? शीतल बहने वाली गङ्गा कहाँ पर है ? पत्नी और कुटुंब का पोषण कौन करता है ? और कौनसे सशक्त मनुष्य को ठंड नही लगती ?
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*गूढ़ार्थ*-----
प्रत्येक प्रश्न का उत्तर उसी मे है । जैसे---
कृष्ण ने कंस को मारा । शीतल बहने वाली गङ्गा काशी में है । पत्नी और कुटुंब का पोषण खेती करने वाले करते है । सशक्त मनुष्य को कंबल के कारण ठंड नही लगती ।
प्रत्येक प्रश्न का उत्तर पहले दो अक्षरों में ही है ।
कंस , काशी , केदार , कंबलवन्तं ।
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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