|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *अर्थवैचित्र्य* " ( १२९ )
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*श्लोक*----
" अम्बुजमम्बुनि जातं , न हि दृष्टं जातमम्बुजादम्बु ।
अधुना तद्विपरीतं चरणसरोजाद्विनिर्गता गङ्गा " ।।
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*अर्थ*----
जल में कमल उगता है , पर कमल से जल का उद्गम , कभी देखने में नही आया ! किन्तु , अब यह कैसा उलटा हो गया ?
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*गूढ़ार्थ*---
यह कैसे हो गया कि -- कमल से जल का उद्गम?
श्रीविष्णु के *पदकमलसे* गङ्गा के जैसे ( प्रचंड ) जलौघ , का उगम हुआ यह कितना बडा आश्चर्य है न ! !
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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