Wednesday, August 19, 2020

Sanskrit puzzle

|| *ॐ* ||
  " *सुभाषितरसास्वादः* " 
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    " *प्रहेलिकाः* " ( १७१ )
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   *श्लोक*---
   " मार्गे  चलामि  विविधांश्च  जनान्   गृहीत्वा  
    मध्ये  स्थिरा  जनसमूहविसर्जनाय  ।
   यात्रापरायणजनान्  न  कुतोऽपि  दुःखं
   न्याय्यात्पथः  प्रविचलामि  पदं  न  चैकम्  " ।।
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  *अर्थ*---
  मार्ग  से  विविध  लोगों  को  लेकर  चलती  हूँ ।  बीच बीच  में  जनसमूह  का  विसर्जन  करने  के  लिये  रूकती  हूँ ।  यात्रा  करने  वाले  लोगों  को  बिलकुल  त्रास  नही  होता है ।  न्याय के  पथ  से  मैं  कभी  विचलित  नही  होती  हूँ  ।  तो  मैं  कौन  हूँ  ?
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*गूढ़ार्थ*----
   Ganesha
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /   महाराष्ट्र 
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