Monday, August 17, 2020

Lamp eats darkness - Deepo bhakshyate dwaantam - Sanskrit sloka

|| *ॐ* ||
    " *सुभाषितरसास्वादः* "
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    " *संकीर्णसुभाषितः* " ( १८० )
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  *श्लोक*-----
    " दीपो  भक्षयते  ध्वान्तं  कज्जलं  च  प्रसूयते ।
       यदन्नं  भक्षयेन्नित्यं  जायते  तादृशी  प्रजा  " ।।
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*अर्थ*----
    दिया  अंधार  को  खाकर  काजल  को  जन्म  देता  है । सही  ही  है  जैसा  अन्न  खाओगे  वैसी  ही  प्रजा  होती  है ।
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   *गूढ़ार्थ*------
    सुभाषितकार ने  कितना  सही  कहा  है न ? जैसा  हम  अन्न  खाते  है  वैसे  ही  हमारे  आचार  और  विचार  होते  है ।  इसलिये  गर्भिणी  के  लिये  विशेष  आहार  की  व्यवस्था  की  जाती  है  ताकी  अगली  प्रजा  सात्विक  विचारों  वाली  जन्मे ।  भारतीय  संस्कृति  का  छोटा  से  छोटा  विशेष  अभ्यास  करनेलायक ही है ।
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे /   महाराष्ट्र 
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