Tuesday, August 18, 2020

Description of sunrise-sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
     " *सुभाषितरसास्वादः* " 
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      " *सूर्योदयवर्णनम्* " ( २०५)
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    *श्लोक*----
    " उदयति  विवतोर्ध्वरश्मिरज्जावहिमरूचौ  हिमाधाम्रि याति  चास्तम् ।
      वहति  गिरिरयं विलम्बिघण्टाद्वयपरिवारितवारेणन्द्रलीलाम् ।। "
              ( शिशुपालवधम्  ( माघ ) )
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     *अर्थ*----
       ' शिशुपालवध '  इस  महाकाव्य  में  महाकवि  माघ  ने  सूर्योदय का  कितना  वास्तववर्णन  किया  है  यह देखिए  और  यही  श्लोक  के  कारण  इस  कवी को  ' घण्टामाघ '  कवी  की  उपाधि   प्राप्त  हुयी  है ।  
   कवी  कह  रहा  है -- पूर्व  दिशा  को  सूर्योदय  हो  रहा  है , उसी  समय पश्चिम  की  तरफ  पूर्ण  चन्द्र  का  अस्त  हो  रहा  है ।  और  इन  दोनों  के  बीच  ऊंचे  पर्वतों  की शृंखला  है ।  पर्वत के  तरफ  सूर्यबिम्ब  जो  एक    घण्टासमान  गोल  दिख  रहा  है  तो  दूसरे  और  चन्द्रबिम्ब  भी  घण्टासमान  ही  दिख  रहा  है  लेकीन  दोनो  बिम्ब  स्वर्णमय  ही  दिख  रहे  है । जैसे  यह  पर्वत  गजराज  है  और  सूर्य  और  चन्द्र की  लंबी-लंबी  और विस्तृत  किरणें  मतलब  दो  सोनेरी  शृंखला ,  पर्वत  रूप  हाथी  के  दोनों  तरफ  सूर्य  और  चन्द्र  दो  सोनेरी  घण्टा ।  सूर्योदय  का  इससे  अच्छा  वर्णन  और  कौनसा  होगा ?
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    *गूढ़ार्थ*-----
    कितना  सुन्दर  सूर्योदय  का  वर्णन  कवी  माघ  ने  यहाँ  पर  किया  है  
    न ?  हुबहू  हमारे  सामने  वह  दृश्य  दिखने  लगता  है , संस्कृत  में  इस  प्रकार  को  चित्रकाव्य  भी  कहते  है ।  ऐसे  सुन्दर  वर्णन  करने  के  लिये  दृष्टि  भी  उतनी  ही  स्वच्छ  और निर्मल  जरूरी  है ।  दृष्टि  ही  नही  तो  मन  भी  उतना  ही  शांत  और  पवित्र  होना  जरूरी  है  तभी  ह्रदय  में  निसर्ग  की  साफ- सुथरी  तस्वीर  निकलती  है  और  फिर  माघ  जैसे  लोग  उसे  शब्दबद्ध  करके  हमे  उस  निसर्ग  में  ले  जाते  है ।
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  *卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /   महाराष्ट्र 
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