||ॐ||
" सुभाषित रसास्वाद"( २३)
---------------------------------------------------------------------
" कुपंडितनिन्दा"
--------------------------------------------------------------------
श्लोक----
" अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः ।
ज्ञानलवदुर्विग्धं ब्रह्मापि नरं न रञ्जयति"।। ( हितोपदेशः)
--------------------------------------------------------------------------
अर्थ----
इस जग में तीन प्रकार के लोग होते है । प्रथम प्रकार में लोग 'अज्ञ' मतलब अनपढ़ होते है जिनको एक बार समझाने पर वह मान जाते है।
दूसरे प्रकार में ' विशेषज्ञ ' होते है । इनको भी समझाना सरल होता है।
किन्तु कुछ लोग ऐसे रहते है जिनको ज्ञान का केवल एक कण मिला होता है । किन्तु वे खुद को इतनेसे ज्ञान के कारण महापंडित और महाविद्वान् समझने लगते है और इनको समझाने के लिए साक्षात ब्रह्मदेव भी आया तो भी ये लोग नही समझ सकते ।
ब्रह्मदेव भी इन्हे नही समझा सकता ।
-----------------------------------------------------------------------------
गूढार्थ----
सही मे जिनको अल्पज्ञान प्राप्त हुआ है किन्तु वह उसे ही महाज्ञान और खुद को महापण्डित समझते है । ऐसे लोगों को कुछ समझाना मतलब अपना समय व्यर्थ गंवाना रहता है ।
ऐसे लोग जिंदगी में मिल भी गये तो आप जो कह रहे हो वही सही करके आगे निकल जाना अच्छा रहता है।
-------------------------------------------------------------------
卐卐ॐॐ卐卐
------------------------------
डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
" सुभाषित रसास्वाद"( २३)
---------------------------------------------------------------------
" कुपंडितनिन्दा"
--------------------------------------------------------------------
श्लोक----
" अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः ।
ज्ञानलवदुर्विग्धं ब्रह्मापि नरं न रञ्जयति"।। ( हितोपदेशः)
--------------------------------------------------------------------------
अर्थ----
इस जग में तीन प्रकार के लोग होते है । प्रथम प्रकार में लोग 'अज्ञ' मतलब अनपढ़ होते है जिनको एक बार समझाने पर वह मान जाते है।
दूसरे प्रकार में ' विशेषज्ञ ' होते है । इनको भी समझाना सरल होता है।
किन्तु कुछ लोग ऐसे रहते है जिनको ज्ञान का केवल एक कण मिला होता है । किन्तु वे खुद को इतनेसे ज्ञान के कारण महापंडित और महाविद्वान् समझने लगते है और इनको समझाने के लिए साक्षात ब्रह्मदेव भी आया तो भी ये लोग नही समझ सकते ।
ब्रह्मदेव भी इन्हे नही समझा सकता ।
-----------------------------------------------------------------------------
गूढार्थ----
सही मे जिनको अल्पज्ञान प्राप्त हुआ है किन्तु वह उसे ही महाज्ञान और खुद को महापण्डित समझते है । ऐसे लोगों को कुछ समझाना मतलब अपना समय व्यर्थ गंवाना रहता है ।
ऐसे लोग जिंदगी में मिल भी गये तो आप जो कह रहे हो वही सही करके आगे निकल जाना अच्छा रहता है।
-------------------------------------------------------------------
卐卐ॐॐ卐卐
------------------------------
डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
No comments:
Post a Comment