Friday, November 22, 2019

3 types of people-Sanskrit subhashitam

||ॐ||
" सुभाषित  रसास्वाद"( २३)
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" कुपंडितनिन्दा"
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श्लोक----
" अज्ञः  सुखमाराध्यः  सुखतरमाराध्यते  विशेषज्ञः ।
ज्ञानलवदुर्विग्धं  ब्रह्मापि   नरं  न  रञ्जयति"।। ( हितोपदेशः)
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अर्थ----
इस  जग  में  तीन  प्रकार  के  लोग  होते  है । प्रथम  प्रकार  में  लोग  'अज्ञ'  मतलब  अनपढ़  होते  है  जिनको  एक  बार  समझाने  पर  वह  मान  जाते  है।
दूसरे  प्रकार  में  ' विशेषज्ञ ' होते  है ।  इनको  भी  समझाना  सरल  होता  है।
किन्तु  कुछ  लोग  ऐसे  रहते  है  जिनको  ज्ञान  का  केवल  एक  कण  मिला  होता  है । किन्तु  वे  खुद को  इतनेसे  ज्ञान  के  कारण  महापंडित  और  महाविद्वान्  समझने  लगते  है  और  इनको  समझाने  के  लिए  साक्षात  ब्रह्मदेव  भी  आया  तो  भी  ये  लोग  नही  समझ  सकते ।
ब्रह्मदेव  भी  इन्हे  नही  समझा  सकता ।
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गूढार्थ----
  सही  मे  जिनको  अल्पज्ञान  प्राप्त  हुआ  है  किन्तु  वह  उसे  ही  महाज्ञान  और  खुद  को  महापण्डित  समझते  है ।  ऐसे लोगों को  कुछ समझाना  मतलब  अपना  समय  व्यर्थ  गंवाना  रहता  है ।
ऐसे  लोग  जिंदगी  में  मिल  भी  गये  तो  आप  जो  कह  रहे  हो  वही  सही  करके  आगे  निकल  जाना  अच्छा  रहता  है।
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर
पुणे /    महाराष्ट्र 

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