रथस्थश्रीजगन्नाथध्यानम्
*******************
मानाथोनाथनाथः प्रथितरथरथी पार्थपत्नीसनाथो
व्यर्थानामर्थकारी वरपथपथिकः स्वार्थदाने समर्थः।
अव्यर्थक्षेत्रनाथः श्रुतिततिकथितो नृव्यथानर्थकारी
देह्यर्थं प्रार्थयेर्थी पथि रथसमये श्रीजगन्नाथनाथ!।।
(व्रजकिशोरत्रिपाठी)
No comments:
Post a Comment