Monday, May 6, 2019

Lakshmi

|| ॐ||
" सुभाषित  रसास्वाद"(३२१ )
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" लक्ष्मी--स्वभाव"
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श्लोक--
" लक्ष्मि  क्षमस्व  वचनमिदं  दुरुक्तं
अन्धीभवन्ति  पुरुषास्त्वदुपासनेन।
नो  चेत्कथं  कमलपत्रविशालनेत्रो
नारायणः  स्वपिति  पन्नभोगतल्पे"।।
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अर्थ---
हे  लक्ष्मी,  अब  मैं  आपके  बारे  में   कटुवचन  कहूंगा , इसलिए  मुझे  क्षमा  कर  दो।  किन्तु  यह  सत्य  ही  है  कि  लोग  आपके  साथ  रहने  से  अंधे  हो  जाते  है।  उनकी  विवेकबुद्धि   नष्ट  हो  जाती  है ।  ऐसा  नही  तो  फिर  बताईये  कि  कमलनयन  भगवान्   विष्णु  सांप ( शेषनाग)  की  शय्या  पर  क्यों  शयन  करते?  यह  आपका  ही  तो  मोहक  प्रभाव  है जिसके  कारण  वह  कहाँ  सो  रहे  है  यह  विवेक  ही  उन्हे  नही  रहा।
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गूढ़ार्थ---
लक्ष्मी  का  आगमन  होने  के  बाद  व्यक्ति  की  नीर-क्षीर  क्षमता  नष्ट  हो  जाती  है। धनी  व्यक्ति  आगे  पिछे  नही  सोचता  और  उलटे सुलटे कार्य  करने  लगता  है।
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डाॅ.  वर्षा   प्रकाश   टोणगांवकर 
पुणे/    महाराष्ट्र    
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