गौ ग्रास की महिमा
तीर्थ स्नानेषु यत्पुण्यं यत्पुण्य विप्रभोजने।
सर्वव्रतोपवासेषु सर्वेष्वेव तपःसु च ।
पुुुुयत्पुण्यं च महादाने यत्पुण्यं हरिसेवन ।
भुवःपर्यटने यत्तु वेदवाक्येषु यद्भवेत्।
यत्पुण्यं सर्वयज्ञेषु दीक्षायां च लभेन्तरः।
तत्पुण्यं लभते प्राज्ञो गाभ्यो दत्वा तृणानि च ।।
अर्थात:- तीर्थो में स्नान करने, ब्राह्मण भोजन करवाने ,समस्त व्रत -उपवासों को करने एंव तप-साधनों द्वारा महादान -सर्वस्व दान करने, श्री हरि की सेवा ,भू-मण्डल की प्रदक्षिणा, वेदवाक्यों का श्रवण-पाठ, विविध यज्ञों का अनुष्ठान तथा दीक्षा -ग्रहण आदि करने से जो महापुण्य अर्जित किया जाता है वह सभी महापुण्य भाग्यवान मनुष्य मात्र गौओं को गौ -ग्रास चारा प्रदान करके प्राप्त कर सकते है।।
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