Thursday, November 1, 2018

Sanskrit subhashitam

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⛳🌞 विदग्धा वाक् ⛳

*हरेः पादाहतिः श्लाघ्या न श्लाघ्यं खररोहणम्।*
*निन्दापि विदुषा युक्ता न युक्तो मूर्खसंस्तवः ॥*
--सुभाषितरत्नभाण्डागारः पु. ४५.२२

हरेः पादाहतिः श्लाध्या न श्लाध्यं खर-रोहणम्। निन्दा अपि विदुषा युक्ता न युक्तः मूर्ख-संस्तवः ॥

हरेः पादाहतिः श्लाध्या (भवति)। खर-रोहणं श्लाध्यं न भवति। विदुषा निन्दा अपि युक्ता (अस्ति)। मूर्ख-संस्तवः (तु) न युक्तः (अस्ति)॥

घोड़े के पैर की लात (खाना) भी प्रशंसनीय है, पर गधे पर सवारी करना सराहनीय नहीं। विद्वान के द्वारा डाँट (खाना) भी योग्य है। पर मूर्ख द्वारा स्तुति किया जाना भी अयोग्य है।

It is better to be knocked by a horse than to ride a donkey. The condemnation of a scholar is better than the praise of an idiot.

--Subhashitha Samputa, Bharatiya Vidya Bhavan
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