|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *प्रहेलिकाः* " ( २२२ )
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*श्लोक*---
" अहमेको लघुभ्राता
स्वसृणां च चतुष्ट्यम् ।
उद्धर्तुमसमर्थास्ताः
किञ्चिदपि मया विना ।।
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*अर्थ*----
मै एक छोटा भाई और मेरी चार बहने है ।
मेरे बिना कुछ भी खोला नही जा सकता , किञ्चित भी कार्य मेरे बिना नही हो सकता तो मैं कौन हूँ ?
अंगू्ष्ठ
अंगुठा---------------------------------------------------------------------------------------
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
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