Friday, January 14, 2022

Winter -Sanskrit poem

शीतकालः
********
हेमन्तस्य हिमेन तेन विपुलं कृत्वा स्वमत्या हिमं
शीतर्तुः सकलक्षितौ क्षिपति तच्छीतं ततो वर्धते।
लब्ध्वा ज्ञानकणं हि शिष्यपरमः शक्त्या यथा व्यापकं
तत् संपाद्य विकाशते निजधिया सर्वत्र भूमण्डलम्।।
                         (व्रजकिशोरः)

No comments:

Post a Comment