एकं कुटश्लोक:
एकादश्यां विशेषेण कर्त्तव्यं भोजनद्वयम्।
रात्रौ जागरणं कृत्वा दिवा च हरि कीर्तनम्।।
अत्र कर्त्तृपदं लुप्तं मर्यादा दशवार्षिकी।
यह कूटोक्ति है विरोधालंकार भी है। सीधा अर्थ है कि _एकादशी के दिन विशेष रूप से दो बार भोजन करना चाहिए। रात में जागरण और दिन में हरि कीर्तन करना चाहिए। इस श्लोक में कर्तापद लुप्त है। जो बताये उसे दशवर्ष का समय है।
भो जन । Answer
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