|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *प्रहेलिकाः*( १०२ )
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*श्लोक*----
" धवलः शब्दकारी च
विष्णुहस्तावलम्बितः ।
एकमेव तु मे दुःखं
मूर्खेण तुलयन्ति माम् ।।
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*अर्थ*----
धवल हूँ , ध्वनी करता हूँ , विष्णु के हाथ में रहता हूँ ।
केवल एक ही दुःख है वह यह की मेरी तुलना मुर्खों के साथ की जाती है ।
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*गूढ़ार्थ*-----
शङ्खः
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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