ॐ
|| सुभाषित रसास्वाद||
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" अन्तरालापाः"( ३२ )
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श्लोक------
" युधिष्ठिरः कस्य पुत्रो गङ्गा वहति कीदृशी ।
हंसस्य शोभा का वास्ति धर्मस्य त्वरिता गतिः"।।
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अर्थ----
युधिष्ठिर किसका पुत्र था ? गङ्गा कैसी बहती है ?
हंस की शोभा क्या है ? इन तीन प्रश्नों का उत्तर " धर्मस्य त्वरिता गति" । यह है ।
युधिष्ठिर धर्म का पुत्र था । गङ्गा त्वरिता ( वेग से) बहती है ।
हंस की शोभा उसके मोहक गति में है ।
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गूढ़ार्थ-----
" धर्मस्य त्वरिता गति " यह एक संस्कृत में प्रसिद्ध सुभाषित है ।
इस सुभाषित का कवी ने बहुत ही सुन्दर तरीके से और कौशल्य से उपयोग अपने अन्तरालापा में किया है । यहाँ पर कवीने चौथे चरण में एक ही वाक्य में धर्म की गति वेगवान होती है यह हमको समझाया है ।
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|| सुभाषित रसास्वाद||
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" अन्तरालापाः"( ३२ )
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श्लोक------
" युधिष्ठिरः कस्य पुत्रो गङ्गा वहति कीदृशी ।
हंसस्य शोभा का वास्ति धर्मस्य त्वरिता गतिः"।।
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अर्थ----
युधिष्ठिर किसका पुत्र था ? गङ्गा कैसी बहती है ?
हंस की शोभा क्या है ? इन तीन प्रश्नों का उत्तर " धर्मस्य त्वरिता गति" । यह है ।
युधिष्ठिर धर्म का पुत्र था । गङ्गा त्वरिता ( वेग से) बहती है ।
हंस की शोभा उसके मोहक गति में है ।
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गूढ़ार्थ-----
" धर्मस्य त्वरिता गति " यह एक संस्कृत में प्रसिद्ध सुभाषित है ।
इस सुभाषित का कवी ने बहुत ही सुन्दर तरीके से और कौशल्य से उपयोग अपने अन्तरालापा में किया है । यहाँ पर कवीने चौथे चरण में एक ही वाक्य में धर्म की गति वेगवान होती है यह हमको समझाया है ।
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The answer is that Yudhishthara is the son ofDharma, the river Ganges
flows very fast , and a swan's grace is in its gait i.e.the way it walks
卐卐ॐॐ卐卐
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
flows very fast , and a swan's grace is in its gait i.e.the way it walks
卐卐ॐॐ卐卐
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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