||ॐ||
" सुभाषित रसास्वाद"(२१)
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" प्रहेलिकाः"।
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श्लोक----
" घनान्धकारे स्फुटदीप्तिमन्तः
स्फुलिङ्गतुल्या दिवि चोत्पतन्तः।
" ख" कारपूर्वाक्षर--"ता" न्तवन्तः
तान्ज्ञातवन्तो मनुजाः कियन्तः ?"।।
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अर्थ---
घने अन्धकार में चमकता है । स्फुलिंग के समान दिये के उपर गिरता है । पहला अक्षर "ख" है और अन्तिम अक्षर "त" है ।
कितने ज्ञानी लोग इसे जान सकते है ?
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" सुभाषित रसास्वाद"(२१)
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" प्रहेलिकाः"।
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श्लोक----
" घनान्धकारे स्फुटदीप्तिमन्तः
स्फुलिङ्गतुल्या दिवि चोत्पतन्तः।
" ख" कारपूर्वाक्षर--"ता" न्तवन्तः
तान्ज्ञातवन्तो मनुजाः कियन्तः ?"।।
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अर्थ---
घने अन्धकार में चमकता है । स्फुलिंग के समान दिये के उपर गिरता है । पहला अक्षर "ख" है और अन्तिम अक्षर "त" है ।
कितने ज्ञानी लोग इसे जान सकते है ?
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खद्योत: FIREFLY
卐卐ॐॐ卐卐
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
卐卐ॐॐ卐卐
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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