अद्यत्वे खलु साक्षरा न पुरुषाः तत्वार्थनिर्णायकाः
प्राप्तं चन्द्रतलं ब्रह्माण्डगमनं जानन्ति नो मानवम्।
सर्वेषां परिमार्जितञ्च भवनं द्वित्राः कुटुम्बे जनाः
सर्वे ते धनिकाः तथापि मनसः शान्तिर्न तुष्टिः पुनः।।
छन्द:---शार्दूलविक्रीडितम्
--- मार्कण्डेयो रवीन्द्र:
आजकल लोग बहुत पढ़े लिखे हैं परन्तु ज्ञानवान नही हैं। चन्द्रमा पर पहुंच गए हैं,ब्रह्माण्ड (अन्तरिक्ष ) तक पहुंच है परन्तु मनुष्य की पहचान नही है । सबके पास साफ सुथरे बड़े घर हैं परन्तु परिवार मे दो तीन लोग हैं। सभी धनवान हैं फिर भी मन की शांति और सन्तोष नही है।
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