|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *अन्तरालापाः* " ( ३०८ )
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*श्लोक*-----
" भागीरथी कथं भूता कामिनी प्राह किं प्रियं ।
एकमेवोत्तरं देहि शास्त्र-- लौकिक-- भाषया " ।।
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*अर्थ*----
गंगा नदी का स्वरूप कैसा चाहिए ? स्त्री कैसी चाहिए ?
ये दोनो भी प्रश्नों के उत्तर शास्त्रीय और लौकिक ऐसे एक ही शब्द में दीजीए ।
उत्तर= *मलापहा*।
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*गूढ़ार्थ*------
पुरातन काल से गंगा नदी पवित्र मानी गयी है । उसमें स्नान करने के पश्चात् पापक्षालन होता है । ऐसा माना जाता है ।
मलापहा= मल + अपहा । मतलब मल नष्ट करने वाली । गंगा के बारे में पाप = मल । और क्षालन = अपहा ।
और स्त्री के बारे में मलापहा = भवरूपी मल को नष्ट करनेवाली ऐसा अर्थ होता है ।
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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