Friday, November 2, 2018

Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
     " *सुभाषितरसास्वादः* "
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    " *अन्तरालापाः* " ( २२६ )
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    *श्लोक*---
" का पाण्डुपत्नी  गृहभूषणं  किं  को  रामशत्रुः किमगस्त्यजन्म ।
  कः सूर्यपुत्रो विपरीतपृच्छा ,  कुन्तीसुतो  रावणकुम्भकर्णः ।। "
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  *अर्थ*----
  पंडू  की  पत्नी  कौन ?  गृह  का  अंलंकार  कौनसा ? राम  का  शत्रु  कौन ? अगस्त्य  का  जन्म  कहाँ  हुआ  है ? सूर्य  का  पुत्र  कौन ? रावण और कुम्भकर्ण  यह  कुन्ती  के  पुत्र  थे । 
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*गूढ़ार्थ*----
  प्रश्न  और  उसके  उत्तर ।  
  पण्डु  पत्नी -- कुन्ती । घर  का  भूषण -- पुत्र ( सुत ) ।  राम  का  शत्रु -- रावण ।  अगस्त्य  मुनी  का  जन्म --- कुम्भ ।  सूर्य  का  पुत्र  -- कर्ण ।
यह  है  यह  है  प्रश्नों  के  उत्तर  लेकीन  चौथे  और  आखिरी  पंक्ति का  अर्थ  भलता  ही  निकल  रहा  है , वह यह  कुन्ती  के  पुत्र  रावण  और कुम्भकर्ण  है ।  लेकीन  एक प्रश्न  पढने  के  बाद  उसका  उत्तर  आखरी  पंक्ति  में  क्रम से  दिये  गये  है  तब *अन्तरालापाः* की  उकल  हो  जाती  है । यही  संस्कृत  भाषा  का वैभव ।
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  / नागपुर  महाराष्ट्र 
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