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" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *अन्तरालापाः* " ( २२६ )
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*श्लोक*---
" का पाण्डुपत्नी गृहभूषणं किं को रामशत्रुः किमगस्त्यजन्म ।
कः सूर्यपुत्रो विपरीतपृच्छा , कुन्तीसुतो रावणकुम्भकर्णः ।। "
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*अर्थ*----
पंडू की पत्नी कौन ? गृह का अंलंकार कौनसा ? राम का शत्रु कौन ? अगस्त्य का जन्म कहाँ हुआ है ? सूर्य का पुत्र कौन ? रावण और कुम्भकर्ण यह कुन्ती के पुत्र थे ।
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*गूढ़ार्थ*----
प्रश्न और उसके उत्तर ।
पण्डु पत्नी -- कुन्ती । घर का भूषण -- पुत्र ( सुत ) । राम का शत्रु -- रावण । अगस्त्य मुनी का जन्म --- कुम्भ । सूर्य का पुत्र -- कर्ण ।
यह है यह है प्रश्नों के उत्तर लेकीन चौथे और आखिरी पंक्ति का अर्थ भलता ही निकल रहा है , वह यह कुन्ती के पुत्र रावण और कुम्भकर्ण है । लेकीन एक प्रश्न पढने के बाद उसका उत्तर आखरी पंक्ति में क्रम से दिये गये है तब *अन्तरालापाः* की उकल हो जाती है । यही संस्कृत भाषा का वैभव ।
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
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