गीताजयन्तीनिमित्तम्
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या कृष्णास्यसरोजगर्भतनया व्यासेन संवर्द्धिता
युद्धक्षेत्रसुनर्त्तकी मधुरगीर्दुर्योधनत्रासदा।
पार्थप्राणविनोदिनी रसवती साम्राज्यपुत्रप्रदा
तां वन्देऽखिललोकशोकशमनीं गीतां निगूढार्थिकाम् ।।
(व्रजकिशोरः)
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या कृष्णास्यसरोजगर्भतनया व्यासेन संवर्द्धिता
युद्धक्षेत्रसुनर्त्तकी मधुरगीर्दुर्योधनत्रासदा।
पार्थप्राणविनोदिनी रसवती साम्राज्यपुत्रप्रदा
तां वन्देऽखिललोकशोकशमनीं गीतां निगूढार्थिकाम् ।।
(व्रजकिशोरः)
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