Thursday, March 10, 2022

Soft - Sanskrit subhashitam

*७१० . ।। मृदु ।।*

*जलौकावत्पिबेद्राष्ट्रं* 
          *मृदुनैव नराधिपः ।*
*व्याघ्रीव च हरेत्पुत्रान्* 
          *सन्दशेन्न च पीडयेत् ॥* 
राजाने एकाद्या जळूप्रमाणे सौम्यपणानेच राष्ट्रातील द्रव्य कराच्या रूपाने घ्यावे . वाघीण जशी पिलांना आपले दात लागू न देता अलगद उचलून नेते , त्याप्रमाणे प्रजेला त्रास न होईल अशा बेताने तिच्याकडून कर घ्यावा .

जोंक जिस तरह एक समान गति से धीमे-धीमे रक्त पीकर अपना पालन करता हैं और बाघ जैसे अपने दांतो से शावकों को पकड़ने पर भी उन्हें कष्ट नहीं होने देता उसी प्रकार राजा को भी सौम्यता से अपनी प्रजा से कर लेना चाहिए ।

The King should act like a leech taking blood mildly . He should treat his subjects like a tigress carrying her cubs , touching them with her teeth but never cutting them therewith .

No comments:

Post a Comment