Wednesday, November 24, 2021

sumukha pancakam - Sanskrit poem

।। सुमुखपञ्चकम् ।।
हे विघ्नराज गिरिजात्मज ईशपुत्र
स्कन्दाग्रज स्फुटितदन्त सुवक्रतुण्ड ।
हेरम्ब मङ्गलवरप्रद लोकपूज्य
मत्तेभवक्त्र सुमुख जगदीश रक्ष ।।1

हे विघ्ननाश द्विरदानन शूर्पकर्ण
लम्बोदर प्रथमपूज्य सुब्रह्मचारिन् ।
नागोपवीत नतभक्तजनार्तिहारिन्
मत्तेभवक्त्र सुमुख जगदीश रक्ष ।।2

हे सुप्रसन्न सुरनायक आखुवाह
अर्धेन्दुभूषाभयप्रद गणाधिनाथ ।
दूर्वादलार्ककुसुमार्चितपूज्यपाद
मत्तेभवक्त्र सुमुख जगदीश रक्ष ।।3

हे पञ्चहस्त प्रणवाक्षरपूर्णरूप
आनन्दचिन्मय गजानन एकदन्त ।
आशाप्रपूर अतिसुन्दर अप्रमेय
मत्तेभवक्त्र सुमुख जगदीश रक्ष ।।4

हे सिद्धिदायक सुबुद्धिद स्वप्रकाश
पाशाङ्कुशधर गुणालय मङ्गलात्मन् ।
क्षिप्रप्रसादन विनायक कीर्तिमन्त
मत्तेभवक्त्र सुमुख जगदीश रक्ष ।।5
🙏🏾 Pālāmadai Ananthasubramanian 🙏🏾

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