Friday, November 12, 2021

Sanskrit puzzle

|| *ॐ* ||
   " *सुभाषितरसास्वादः* "
     " *प्रहेलिकाः* " ( २७८ )
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    *श्लोक*---
   " शतशतहस्तः शतशतपादः , तृणमिववर्णश्चरणप्राशः ।
    अशनं , वसनं , छाया , वित्तम् , सकलं सकलं मत्तः प्राप्तम् ।।
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   *अर्थ*----
    मुझे सौ सौ हाथ है और सौ सौ पैर है । घास के जैसा मेरा वर्ण है और घास मेरे चरणों में रहती है । भोजन , वस्त्र, छाया और धन आप लोगों को मुझसे ही प्राप्त होता है ।
   तो मैं कौन हूँ ?
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   *गूढ़ार्थ* -----
वृक्षः
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर 
पुणे / महाराष्ट्र 
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