*८७७ . ॥ अनुपम ॥*
*ब्राह्मणस्य तु देहोऽयं*
*न कामार्थाय जायते ।*
*इह क्लेशाय तपसे*
*प्रेत्य त्वनुपमं सुखम् ॥*
ब्राह्मणाचा देह हा सुखोपभोगासाठी निर्माण झालेला नाही . इहलोकी क्लेश भोगून तपाचरण करण्यासाठी ब्राह्मण जन्मला आहे . असे केले तरच परलोकी त्याच्या जीवाला अनुपम सुख मिळेल .
ब्राह्मण का देह सुखोपभोग के
लिए उत्पन्न नहीं हुआ । इहलोक में क्लेश भोगकर तपाचरण करनेके लिए ब्राह्मणका जन्म हुआ हैं । ऐसा करने पर ही उस के जीव को परलोक में अनुपम सुख प्राप्त होगा ।
The body of the Brahman is not meant for merrymaking . The Brahman is born to undertake austerities facing difficulties on the Earth . Only then he will acquire unparalleled happiness in the other world after death .
No comments:
Post a Comment