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||सुभाषित-रसास्वादः||[३७६]
'' कालचरितम् ''
'' मातुलो यस्य गोविन्दः पिता यस्य धनञ्जयः |
सोऽपि कालवशं प्राप्तः कालो हि दुरतिक्रमः ||''[शा.प.]
अर्थ—साक्षात भगवान श्रीकृष्ण जिनके मामा हें , अर्जुन जैसा परमवीर जिसका पिता हें | वह अभिमन्यू भी आखिर में कालवश हो गया | मृत्यु किसीका भी टला नही हें , ये ही सच हें |
गूढार्थ—सुभाषितकार ने हमे दुनिया का कडवा सच बतया हें | हम तो मोह-माया में फंसे सामान्य प्राणी ही हें |
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डॉ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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