|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *समस्यापूर्ति* " ( ९९ )
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*श्लोक*---
" न केनापि श्रुतं दृष्टं वारिणा वारि शुष्यते ।
अहो गोदावरीवारा भवसिन्धुर्विशुष्यते " ।।
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*अर्थ*----
पानी से पानी सूखता है यह किसि ने सुना भी नही और देखा भी नही । यह कैसी समस्या है ?
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*गूढ़ार्थ*----
पानी से पानी सूखता है यह किसि ने सुना भी नही और देखा भी नहीं किन्तु गोदावरी के पानी से संपूर्ण भवसागर सुख जाता है ।
मतलब गोदावरी का पानी इतना पवित्र है कि मनुष्य संसाररूपी सागर से मुक्त हो जाता है ।
सुखा दिया न पानी ने पानी को ?
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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