Monday, July 6, 2020

ocean never begs for water - Sanskrit subhashitam

*३९४ . ।। पात्रता ।।*

*नाम्भोधिरर्थितामेति* 
          *सदाम्भोभिश्च पूर्यते ।*
*आत्मा तु पात्रतां नेय:*  
          *पात्रमायान्ति संपद: ॥*

समुद्र कधीही पाण्यासाठी कोणाकडे भिक्षा मागत नाही , तरी देखील तो नेहमी पाण्याने भरलेला असतो . आपण जर स्वतःला योग्य बनविले तर सर्व साधने आपल्याकडे स्वतःहून चालत येतात .

सागर कभी जल के लिए भिक्षा नही मांगता फिर भी वह सदैव जल से भरा रहता है । यदि हम अपने आप को योग्य बना दे तो सब साधन स्वयं ही हमारे पास आ जाते हैं ।

An ocean never begs for water , yet it is always full of water . If one makes oneself worthy , riches come to the worthy person by themselves .

No comments:

Post a Comment