Monday, July 6, 2020

Death is the common connectivity - Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
   " *सुभाषितरसास्वादः* "
---------------------------------------------------------------------------------------
      " *विषयनीति* " ( २१८ )
-----------------------------------------------------------------------------------
    *श्लोक*----
    " सहवर्धितयोर्नास्ति  सम्बन्धः  प्राणकाययोः ।
     पुत्रमित्रकलत्रेषु  सम्बन्धित्वकथैव  का ? ।। "
--------------------------------------------------------------------------------------
   *अर्थ*-----
    प्रत्यक्ष  प्राण  और  देह  एकसाथ  ( एकजीवता ) या  एकत्र बढकर  भी, 
    मृत्यु  के  पश्चात  उनका  सम्बन्ध  नही  रहता ।  फिर  भी  मनुष्य  पुत्र , मित्र ,  पत्नी के  साथ  जो  सम्बन्ध  रहता  है  उसकी  तो  क्या  बात करनी  चाहिए ?
---------------------------------------------------------------------------------------
     *गूढ़ार्थ*-----
प्राण  और  देह  एकसाथ  और  एकत्र  रहने  बाद  भी  और  साथ  में  बढकर  भी  मृत्यु  के  पश्चात  उनका  कोई  सम्बन्ध  नही  रहता और  मनुष्य पुत्र  , मित्र,  पत्नी  इनके  साथ  जन्म-जन्मांतर  के  सम्बन्ध  स्थापित  करने  का  प्रयत्न  करता  है।  यह  सम्बन्ध  चिरकाल  तो  बिलकुल  ही  नही  किन्तु  प्राण  और  देह  मतलब  मनुष्य  के  आयु  इतने  तो  भी  दीर्घकाल कैसे  टिकेंगे ? 
   सुभाषितकार ने  हमारी  आंखों  में  अञ्जन  ही  डाला  है । हम  हमारे  रिश्तों  पर कितने  इतराते  है ।  यह  मेरा  मित्र  यह  मेरा  परिवार ।
   किन्तु  सब  कुछ  कमलपत्ते पर  गिरे  हुए  बुंद  के  समान  ही  है।
स्थायी और  चिरकाल  कुछ  भी  तो  नही ।
---------------------------------------------------------------------------------------
*卐卐ॐॐ卐卐*
-------------------------------------
डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /   महाराष्ट्र 
------------------------------------
⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘

No comments:

Post a Comment