Wednesday, July 29, 2020

Life is temporary - Sanskrit sloka from Mahabharat

|| *ॐ* ||
    " *सुभाषितरसास्वादः* "
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   " *सामान्यनिति* " ( २०९ )
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    *श्लोक*----
   " न जातु कामात् , न भयात्  न  लोभात् ।
    धर्मं  त्यजेत्  जीवितस्य  अपि  हेतोः ।।
    नित्यो  धर्मः  सुखदुःखे  तु  अनित्ये  ।
     जीवो  नित्यः  हेतुः अस्य  तु  अनित्य ।।  ( महाभारत पर्व  १८ )
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   *अर्थ*----
    विषयभोग  के  लिये  या  भय  के  कारण  अथवा  लोभ  के  कारण  अथवा  जीव  बचाने  के  लिये  भी  धर्म  नही  छोड़ना  चाहिए ।  क्यों  कि  धर्म  नित्य  है ; किन्तु  सुख  और  दुःख  अनित्य  है ।  जीव ( आत्मा )  नित्य  है  ; किन्तु  उसका  हेतु  देहप्राप्ती  का  कारण  माया  अनित्य  है ।
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*गूढ़ार्थ*----
   यह  महाभारत  का  आखरी  का  साररूप  श्लोक  है ।  जिसमे  एक  ही  श्लोक  में  धर्म  और  आत्मा  का  नित्यत्व  बताया  गया  है ।
  वैसे  भी  महाभारत  में  भाई - भाई  के  युद्ध  के  साथ  ही  बहुत सी  ज्ञानात्मक  बाते  भी  आयी  है ।
रामायण  में  आदर्शवाद  और  महाभारत  में  वास्तववाद  ही  है।
दोनों  ही  हमारे  संस्कृति  की  बहुमुल्य  धरोहर  है ।
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डाॅ . वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /  महाराष्ट्र 
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