|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *प्रहेलिका* " ( कोडे ) ( ९५ )
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*श्लोक*---
" एकपादा चतुःशृङ्गा
तेषामुपरि मस्तकम् ।
कृष्णा , तीक्ष्णरुचिः क्षुद्रा
ताम्बूलोपरी शोभते ।।
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*अर्थ*-----
एक पैर है और चारशृंग है और उसके उपर मस्तक है ।
तीक्ष्ण रुचिवाली हूँ , काली हूँ । छोटी भी हूँ और ताम्बूल के उपर शोभीत रहती हूँ ।
तो मैं कौन हूँ ?
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*गूढ़ार्थ*-----
लवंग
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डाॅ . वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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