Thursday, May 21, 2020

Boaster is a fool - Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
       " *सुभाषितरसास्वादः* " 
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     " *स्तुतिनीति* " ( १११ )
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   *श्लोक*------
     " अद्यापि  दुर्निवारं  स्तुतिकन्या  वहति  कौमारम् ।
         सद्भ्यो  न  रोचते  साऽसन्तोऽप्यस्यै  न  रोचन्ते  ।।
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    *अर्थ*-----
  स्तुति  नाम  की  एक  उपवर  कन्या  है ;  उसके  विवाह  के  लिए  बहुत  प्रयत्न  किये  गये ।  सृष्टि  के  प्रारंभ  से  आजतक  प्रयत्न  किये  गये ।
  पर  उसका  विवाह  अभी तक  नही  हुआ वह  अपरिहार्यता  से  अभी  तक  कुंवारी  ही  है । क्यों  कि  सज्जन  लोगों  को  वह  पसंद  नही  और  दुर्जन  उसे  पसंद  नही । ( ऐसा  सतत  चल  रहा  है )
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    *गूढ़ार्थ*----
    सुभाषितकार  ने  कितने  सुन्दर  तरीके  से  मनुष्य  प्रवृत्ति  पर  भाष्य  किया  है ।  और  मनुष्य  की  यह  प्रवृत्ति  सृष्टि  के  प्रारंभ  से  ही  है ।
स्तुति  पसंद  रावण  और  दुर्योधन  हमे  पता  ही  है ।  जिन्हे  स्तुति  पसंद  नही  वह  सज्जन  उसे  देखते  भी  नही  और  जो  दुर्जन  लोग  स्तुति  को  पसंद  करते  है  उन्हे  स्तुति  पसंद  नही  करती ।
श्रीरामदास  स्वामी  ने  भी  मूर्खों  के  लक्षणों  में  लिखा  ही कि ------
   " आत्मस्तुती  करतो  तो  एक  मूर्ख " । 
   सुभाषितकार ने  मनुष्य  स्वभाव  का  मानसशास्त्र  यहाँ   पर बहुत सुन्दर  तरीके से  वर्णित  किया  है ।
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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 डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  / महाराष्ट्र 
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