Tuesday, May 19, 2020

be silent in front of frogs - Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
    " *सुभाषितरसास्वादः* " ---------------------------------------------------------------------------------------
   " *कोकिल--अन्योक्ति* " ( १९२ )
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   *श्लोक*----
    "भद्रं  भद्रं  कृतं  मौनं  कोकिलैर्जलदागमे ।
     वक्तारो  दर्दुरा  यत्र तत्र  मौनं  हि  शोभते " ।। ( नीतिरत्नम्  )
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   *अर्थ*---
   हे  कोकिले !  वर्षाऋतु  आने  के  कारण  तुमने  मौन  धारण  किया  यह  अच्छा  ही  हो  गया ।  क्यों  कि  जहाँ  पर  मेंढक  टरटराते  है  वहाँ  पर तेरे  जैसे  लोगों  का  मौन  रहना  ही  श्रेयस्कर  है ।
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*गूढ़ार्थ*-----
  सुभाषितकार  ने  कोकिल  के  उदाहरण  से  विद्वान  मनुष्य  और  अल्पज्ञ  इनकी  तुलना  की है । अल्पज्ञ  मेंढक  जैसा  टरटराते  रहता है  तब विद्वानों  ने  मौन  रहना  ही  उचित  है । 
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   *卐卐ॐॐ卐卐*
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  डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /   महाराष्ट्र 
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