|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
-----------------------------------------------------------------------------------
" *व्यवहारनीति* " ( ५८ )
---------------------------------------------------------------------------
*श्लोक*----
" बालसखित्वमकारणहास्यं स्त्रिषुविवादमसज्जनसेवा ।
गर्दभयानमसंस्कृतवाणी षटसु नरो लघुतामुपयाति " ।।
---------------------------------------------------------------------------
*अर्थ*---
अपने से छोटों के साथ मैत्री , विनाकारण हंसना , स्त्रियों के साथ वितंडवाद करना , असज्जनों की सेवा करना , गधे पे सवारी करना , और हलकी भाषा बोलना यह छह चीजें मनुष्य को नीचे की पायरी पर ले जाती है ।
-------------------------------------------------------------------------------
*गूढ़ार्थ*------
अपने से छोटे व्यक्ति के साथ मैत्री करके अपना स्वभाव भी वैसा ही माना जाता है । हमारे स्वभाव में भी बचपना है ऐसा ही लोग सोचते है ।
विनाकारण हंसना यह निमपागलों का लक्षण समझा जाता है ।
स्त्रियों के साथ वितंडवाद करने से संशय के नज़र से लोग देखते है।
और आपका अपमान होने की पूरी संभावना रहती है ।
गधे के वाहन से प्रवास नही करना चाहिए क्यों कि यह जनरीती के विरुद्ध तो है ही और गधा कहीं पर भी बैठ सकता है ।
दुर्जनों की सेवा करने से मनस्ताप मिलने की संभावना अधिक रहती है ।
हलकी और असंस्कृत भाषा बोलने से मनुष्य की स्तर की परख होती है । इसलिए इससे बचना चाहिए ।
इसलिए सुभाषितकार ने यह छह बातों से बचने के लिए कहा है।
------------------------------------------------------------------------------------
*卐卐ॐॐ卐卐*
----------------------------
डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
----------------------------------
🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻🌺🌻
No comments:
Post a Comment