Tuesday, February 25, 2020

Coconut-Sanskrit puzzle

|| *ॐ* ||
        " *सुभाषितरसास्वादः* "
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      " *प्रहेलिकाः* " ( ११३ )
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    *श्लोक*----
      " वृक्षात्प्राप्तं  खगं  धृत्वा 
       शिलोपरि  वधः  कृतः ।
        रक्तमांसाशनेनापि
        उपवासो  न  खण्डितः ।।
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*अर्थ*----
 वृक्ष  पर  प्राप्त  होता  हूँ ,  पक्षी  मुझ  पर  बैठते   है ।
 शिला  के  उपर  मेरा  वध  किया  जाता  है ,  रक्त ,मांस  से  भरा  हुआ  हूँ।
किन्तु  मेरे  खाने  से  उपवास  खण्डित  नही  होता  है ।
तो  मैं  कौन हूँ ?
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*गूढ़ार्थ*----
नारिकेलम्
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ.  वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे /   महाराष्ट्र 
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