Tuesday, February 25, 2020

6th sense of woman - Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
     " *सुभाषितरसास्वादः* "
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    " *स्त्रीनीति* " ( ११२ )
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    *श्लोक*----
    " स्त्रियो  हि  नाम  खल्वेता  निसर्गादेव  पण्डिताः ।
      पुरुषाणां  तु  पाण्डित्यं  शास्त्रेणैवोपदिश्यते  " ।।
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   *अर्थ*---
पांडित्य  का  विचार  किया  जाता  है  तब  ऐसा  देखने  को  मिलता  है  कि  , पांडित्य ( सुज्ञता )  स्त्रीयों  में  निसर्गदत्त  ही  होती  है । लेकीन  पुरुषों  का  पांडित्य  तो  केवल  शास्त्र  के  द्वारा  ही  पढा  हुआ  होता  है ।
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 *गूढ़ार्थ*-----
 यहाँ  पर  सुभाषितकार  ने  स्त्री  और  पुरुष  के  मुल  स्वभाव  पर  प्रकाश  डाला  है  जो  एकदम  ही सही  है ।  जन्म  से  स्त्रियों  को  मनुष्यस्वभाव  पहचानने  की  निसर्गदत्त  देणगी  प्राप्त  है ।  इसलिये  वह  जल्दी  ही  किसी  को  पहचान  के  उसके  साथ  वैसा  व्यवहार  करती  है ।  हां  स्त्रियों  को चञ्चल  जरूर  कहा  जाता  है  पर  उसमें  सिक्स्थ सेन्स  पुरुषों  की  अपेक्षा  कुछ ज्यादा  ही  होता  है ।  पुरुषों  को  जो  बाते  शास्त्र  सिखने  के  बाद  मिलती  है  वही  स्त्री  को  घर  के बाहर  कदम  न  रखकर  भी  समझ में  आती  है । एक  विधुर  पुरुष  को  घर  संभालना  बडा  कठिन  जाता  है  वही  एक  विधवा  स्त्री  खंबीरता  से  घर  संभाल  लेती  है ।
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे /   महाराष्ट्र 
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