|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
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" *प्रहेलिका* " ( ८१ )
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*श्लोक*----
नगेषु श्रेष्ठोऽस्मि नगेन्द्रराजः
त्रिनेत्रधारी न्यवसत् ममाङ्के ।
अस्त्युत्तरस्यां दिशि भारतस्य
शुभ्रोत्तमाङ्गश्च पितास्म्युमायाः ।।
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*अर्थ*-----
सब पर्वतों में श्रेष्ठ हूँ । त्रिनेत्रधारी मेरे अंकों में रहते है ।
भारत की उत्तर दिशा में हूँ । और उमा का पिता हूँ ।
तो मैं कौन हूँ ?
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*गूढ़ार्थ*-----
Himalaya
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / महाराष्ट्र
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