Tuesday, December 24, 2019

Control the mind which is chief of all indriya-Sanskrit Subhashitam

|| *ॐ* ||
              " *सुभाषितरसास्वादः* "
--------------------------------------------------------------------------------
           " *सामान्यनीति* " ( ५७ )
-------------------------------------------------------------------------------
*श्लोक*----
   " चित्तमिंद्रियसेनायाः  नायकं  तज्जयात्  जयः ।
     उपानह  गूढ  पादस्य  ननु  चर्मावृता  एव  भूः" ।।
--------------------------------------------------------------------------
*अर्थ*----
इंद्रियों  के  समूह  का  नायक  मतलब  चित्त ( मन ) ।  उसको  अगर  जीत  लिया  तो  इंद्रियविजय  प्राप्त  होता  है ।  जिसने  पादत्राण  पहन  लिया  है  उसके  लिये  पूरी  पृथ्वी  ही  चमडे  से  ढकी  हुई  जैसी  है ।
----------------------------------------------------------------------------------
*गूढ़ार्थ*--------
अपना  काम  कम  शक्ति  में  करना  यह  कौशल्य  और  हुशारी  है ।
वृक्ष  के  मूल  की  तरफ  ध्यान   दिया और  पानी  डाला तो  बुंधा , पत्तियां ,  शाखायें , फुल  और  फल  इन  सब  को  ही  उसका  भाग  मिलता  है ।
इसलिए  सुभाषितकार  बता  रहे  है  कि  शरीर  में  भी  एक  एक  इंद्रिय  पर  विजय  पाना  अत्यंत  दुष्कर  कार्य  है । और  इंद्रियाँ  मन  के  अधीन  होती  है ,  इसलिए  अगर  मन  पर  विजय  पाओगे तो  इंद्रियों  पर  काबू  करना  आसान  हो  जाता  है ।  यहाँ  पर  उदाहरण  के तौर  पर  बता  रहे  है  कि पैरों के संरक्षण  के लिए  पूरी  पृथ्वी  चमडे  से  ढक नही  सकते  उससे  अच्छा  हम  पादत्राण पहन  ले  तो  हमारा  कार्य  आसान  हो  जाता  है । 
मूल  प्रश्न  ही  हमने  आसान  कर  दिया  तो  उपाय  सुलभता  से  कर  सकते  है ।
-----------------------------------------------------------------------------------
*卐卐ॐॐ卐卐*
---------------------------
डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  /   महाराष्ट्र 
----------------------------------
🐌🐌🐌🐌🐌🐌🐌🐌🐌🐌🐌🐌

No comments:

Post a Comment