Tuesday, December 24, 2019

About wife-Sanskrit Subhashitam

|| *ॐ* ||
     " *सुभाषितरसास्वादः* "
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    " *अन्तरालापाः* " ( ५३ )
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*श्लोक*----
" या  पाणिग्रहलालिता  सुसरला  तन्वी  सुवंशोद्भवा ।  
 गौरी  स्पर्शसुखावहा गुणवती  नित्यं  मनोहारिणी ।
सा  केनापि  ह्रता , तया  विरहितो  गन्तुं  न  शक्नोम्यहम् ।
  " रे भिक्षो , तव  कामिनी ? न हि  नहि  प्राणप्रिया  यष्टिका ।।
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*अर्थ*----
कोई  एक  भिक्षू  की  ' प्रिया '  खो  गयी ।  वह  उसका  गुणवर्णन  और  स्वरूपवर्णन  किसी  दुसरे  के  पास  कर  रहा  है --- 
वह  कह  रहा  है--- ' मेरी  प्रिया  कितनी  सरल  थी  कितनी  सडसडीत थी।
कितनी बार  मैने  अपने  हाथों  उसे  लाड लडाया था । उत्तम वंश  में  उसका जन्म था । वह  गौरवर्णी  थी ।  हमेशा  मुझे  उसके  स्पर्श  से  सुख  मिलता था ।  वह  गुणों  की  खान ही थी । उसकी  तरफ  कभी  देखो  तो  वह  सुन्दर ही  दिखती  थी ।  
अरेरे !  ऐसी  मेरी  प्रिया  का  किसीने  अपहरण  कर  लिया  है ।
उसके  विरह  के  कारण  मैं  कहीं  जा  नही  सकता ।
उस  ब्राह्मण  यह  सब  बाते  सुनने  के  बाद  सुननेवाले  ने  पुछा  --
अरे भिक्षुका ,  क्या  वह  ' प्रिया ' तुम्हारी  पत्नी  थी ?  
इसपर  उस भिक्षुक  ने  कहा---
नही  नही  वह  तो  मेरी  प्रिय  छड़ी  !
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*गूढ़ार्थ*----
  इस  श्लोक  के  सारे  विशेषण  देखिए--- उदा. पाणिग्रहलालिता ,  सुसरला , तन्वा ,  गौरी ,  स्पर्शसुखावहा , गुणवती , मनोहारिणी  यह  सब  श्लेषयुक्त  है ।  वह स्त्रीवर्णनपर  है  वैसे  ही  छडी  का  भी  वर्णन  करने  वाले  है ।  सुवंश  इसका  एक  अर्थ  अच्छे  वंश  में  जन्म  और  एक  अर्थ अच्छा  बांबू ।  गुणवती  अच्छे  गुणों  वाली और  छडी  के  संदर्भ  में  खुटीपर  टांगने  के  लिए  मुठी को  डोरी  बंधी  हुई ऐसा ।  
सुसरला स्त्री के  संदर्भ  में  सरलवृत्ती  की  और  छडी  के  संदर्भ  में  जो  तिरछी  नही  वह ।  तन्वी == कृशांगी स्त्री । छडी == पतली ।
गौरी== गोरी । छडी== सफ़ेद ।  स्पर्शसुखावह== आनंददायक स्पर्श  वाली।  मनोहारिणी ==  सुन्दर  और  मन  प्रसन्न  करनेवाली ।
' तयाविरहित ' उसके  बिना ।  उसका  विरह  होने  के  कारण ।
प्रस्तुत  श्लोक  पढ़ने  के  बाद  किसी  सुन्दर  स्त्री  का  वर्णन  करते  हुए  भिक्षूक  की  छडी  का  वर्णन  की  अपूर्वाई  ध्यान  में  आती  है ।
फिर  हम  सोचने  लगते  है  कि  शायद  वह  भिक्षूक  वृद्ध  और  गलितगात्र  होगा । यष्टी  मतलब  छडी  ही  उसका  आधार  होगा ।  
अब  बेचारे  का  क्या  होगा ?
सुन्दर  स्त्री  का  वर्णन  है  ऐसा  सोचते  सोचते  एक  छड़ी  का  वर्णन  आखिर  वह  निकलता  है ।  इस  विरोधाभास  से  अपेक्षाभंग  के  साथ  करूणता  का  प्रत्यय  आता  है । और  अद्भुतता का  प्रत्यय  आता  है ।
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे /   महाराष्ट्र 
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