*क्रोध: सुदुर्जय: शत्रु:*
*लोभो व्याधिरनन्तक:।*
*सर्वभूतहित: साधु:*
*असाधुर्निर्दय: स्मॄत:॥*
अर्थात- मनुष्य के लिए क्रोध को कठिन शत्रु कहा गया है, लोभ कभी न ख़त्म होने वाला रोग कहा गया है। साधु पुरुष वह है जो दूसरों के कल्याण में लगा हुआ है और असाधु वह है जो दया से रहित है।
*🙏🌻सुप्रभातम्🌻🙏*
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