Courtesy:Sri.Bharat Chhatbar
छिन्नोऽपि चंदनतरुर्न जहाति गन्धं,
वृध्दोऽपि वारणपतिर्न जहाति लीलाम् l
यंत्रार्पितो मधुरतां न जहाति चेक्षुः,
क्षीणोऽपि न त्यजति शीलगुणान् कुलीनः ।।
भावार्थ --- चन्दन कट जाने पर भी अपनी महक नहीं छोड़ते. हाथी बुढा होने पर भी अपनी लीला नहीं छोड़ता. गन्ना निचोड़े जाने पर भी अपनी मिठास नहीं छोड़ता. उसी प्रकार ऊँचे कुल में पैदा हुआ व्यक्ति अपने उन्नत गुणों को नहीं छोड़ता भले ही उसे कितनी भी गरीबी में क्यों ना रहना पड़े l
No comments:
Post a Comment