*सूर्यं प्रति रजः क्षिप्तं स्वचक्षुषि पतिष्यति ।*
*बुधान् प्रति कृतावज्ञा सा तथा तस्य भाविनी ॥*
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सूर्य की ओर उडाई गई धूल अपनी ही आँखों मे गिरती है। उसी प्रकार विद्वान् जनों के विषय में किया हुआ अपमान उसी (करने वाले) के साथ घटेगा।
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✒ *बालव्यास श्रीकृष्णप्रसाद जानी (काशी)*
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