|| *ॐ* ||
" *सुभाषितरसास्वादः* "
---------------------------------------------------------------------------------------
" *प्रहेलिकाः* " ( २३३ )
-------------------------------------------------------------------------------------
*श्लोक*----
अयं न भक्तो न च पूजको वा
घण्टां स्वयं नादयते तथापि ।
धनं जनेभ्यः किल याचतेऽयं
न याचको वा न च निर्धनो वा
तर्हि वदत , सः कः ? " ।।
---------------------------------------------------------------------------------------
*अर्थ*---
यह भक्त या पूजक नही है , फिर भी घण्टा वादन करता है ।
लोगों से धन की याचना करता है फिर भी याचक नही है ।
और निर्धन भी नही है ।
तो यह कौन है ?
--------------------------------------------------------------------------------------
*गूढ़ार्थ*---लोकयानवाहकः।-------------------------------------------------------------------------------------
*卐卐ॐॐ卐卐*
------------------------------
डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
---------------------------------
✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍
Sir what is meant by लोकयानवाहक ?
ReplyDeletebus-conductor
ReplyDeleteThis श्लोक is taken from काव्यप्रवाह, composed by श्री सदाशिव त्र्यंबक रहातेकर
ReplyDelete