Monday, November 5, 2018

Donkey-Sanskrit subhashitam

|| *ॐ* ||
    " *सुभाषितरसास्वादः* " 
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     " *चित्रश्लोक* " ( २३० )
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*श्लोक*----
" उष्ट्राणां  लग्नवेलायां  गर्दभाः स्तुतिपाठकाः ।
   परस्परं  प्रशंसन्ति  " अहो  रूपं ! अहो  ध्वनिः! " ।।
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*अर्थ*----
  उट  का  लग्नप्रसंग  है और  गधा  स्तुतिपाठक  है ।  उट  को  वह  कह  रहा  है -" अहाहा !  क्या  आपका  रूप  है !  और  फिर  परस्पर  प्रशंसा  करते  हुए  उट  गधे  को  कहता  है -" अहाहा !  आपका  ध्वनि  कितना  मधुर  !  
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*गूढ़ार्थ*---
इसको  एक  ही  पंक्ति  में  बता  सकते  की  आजकल  के  राजकारणी  लोगों   का  यथार्थ  वर्णन  सुभाषितकार ने किया  है ।
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*卐卐ॐॐ卐卐*
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डाॅ. वर्षा  प्रकाश  टोणगांवकर 
पुणे  / नागपुर  महाराष्ट्र 
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