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" *वन्देसंस्कृतमातरम्* "
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" *लौकिकन्यायकोशः* " ( ७७ )
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" *नद्यम्बुवेगन्यायः* "
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नद्याः जलं वेगेन वहत् अन्ते समुद्रे लीयते । तथैव सर्वे पदार्थाः चिदानन्दे परमात्मनि मिलन्ति इति अस्य भावः।
*यथा--गीतायां*------
" यथा बहवौऽम्बुवेगाः समुद्रमेवाभिमुखा द्रवन्ति ।
तथा तवामी नरलोकवीरा विशन्ति वक्त्राण्य भिविज्वलन्ति ।। ( ११--२८ )
नदीनां जलप्रवाहाः यथा समुद्रम् अभिविशन्ति तथा मनुष्यलोकस्य सर्वेऽपि एते वीराः तव प्रज्वलितमुखेषु ज्वलन्ति ।
( लोकमान्यटिळक--- गीतारहस्ये पृष्ठ क्रमांक-- ७१९ )
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डाॅ. वर्षा प्रकाश टोणगांवकर
पुणे / नागपुर महाराष्ट्र
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