Tuesday, December 28, 2021

Sanskrit conversation between mother & his son

ओ३म् 

*संस्कृतवाक्याभ्यासः* 

माता - वत्स ! मम करवस्त्रं पतितम् ।
        = बेटा , मेरा रुमाल गिर गया। 

पुत्रः - अम्ब ! उन्नयामि 
       = माँ ! उठाता हूँ। 

पुत्रः मातुः करवस्त्रं सन्दंशकेन उन्नयति।
पुत्र माँ के रुमाल को चिमटे से उठाता है। 

अनन्तरं सः फेनकेन करवस्त्रं प्रक्षालयति।
= बाद में वह साबुन से रुमाल धोता है। 

मात्रे सः नूतनं करवस्त्रं ददाति। 
= माँ को वह नया रुमाल देता है। 

माता - किमर्थं वत्स ? तदेव करवस्त्रं किमर्थं न दत्तवान् त्वम् ? 
       = क्यों बेटा ? वही वाला रुमाल तुमने क्यों नहीं दिया ? 

पुत्रः - अम्ब ! यत्किमपि पतति तद् सर्वं प्रक्षालनीयं भवति।
      = माँ ! जो कुछ भी गिर जाता है उसे धोना पड़ता है। 

      अन्यथा कोरोना भविष्यति।
      = नहीं तो कोरोना हो जाएगा। 

माता - तव मस्तिष्के कोरोना एव पूरितम् अस्ति। 
       = तुम्हारे मस्तिष्क में कोरोना ही भर गया है। 

पुत्रः - आम् अम्ब ! अहं तु ईश्वरं प्रार्थये "अखिलं विश्वं कोरोनामुक्तं भवेत्।"
       = हाँ माँ ! मैं तो ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ " सारा विश्व कोरोना से मुक्त हो जाए। 

    सर्वे पुनः सुप्रवृत्तिं कुर्युः ।
    = सभी फिर से अच्छी प्रवृत्ति करें। 

*सरलानि वाक्यानि प्रतिदिनं वदन्तु* 
*सरल वाक्य प्रतिदिन बोलें*

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